निर्जला एकादशी 2025: व्रत की महिमा, तिथि, पूजा विधि और लाभ

 

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Table of Contents

  • निर्जला एकादशी क्या है?

  • निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • व्रत की विशेषता और महिमा

  • निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि

  • व्रत के नियम और पालन

  • निर्जला एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

  • व्रत करने के स्वास्थ्य लाभ

  • निर्जला एकादशी से जुड़े रोचक तथ्य

  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • निष्कर्ष


🌸 निर्जला एकादशी क्या है?

निर्जला एकादशी 2025, सभी एकादशियों में सबसे कठिन और पुण्यदायी मानी जाती है। इसका अर्थ है – "निर्जल" यानी बिना जल के व्रत रखना। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और खासकर उन लोगों के लिए है जो साल की सभी एकादशियों का पालन नहीं कर पाते।

🕉️ यह व्रत व्यक्ति को सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देने वाला माना गया है।


📅 निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • 📆 तिथि: सोमवार, 6 जून 2025

  • 🕯️ एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 जून को देर रात  2:15 बजे

  • 🌙 एकादशी तिथि समाप्त: 7 जून को सुबह 4:47 बजे

  • 🕉️ पारण का समय (व्रत खोलने का समय): 7 जून को सुबह 5:42 बजे से 8:25 बजे तक

👉 नोट: व्रत का पारण द्वादशी तिथि के अनुसार सूर्योदय के बाद किया जाता है।


🔱 व्रत की विशेषता और महिमा

  • निर्जला एकादशी को "भीमसेनी एकादशी" भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत के भीम ने यह व्रत किया था।

  • यह एकादशी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।

  • यह व्रत व्रती की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।


🪔 निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  2. व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।

  3. तुलसी के पत्तों के साथ विष्णु जी को पीले फूल, पंचामृत, फल अर्पित करें।

  4. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

  5. रात भर जागरण कर भगवान का भजन करें।

  6. द्वादशी को सूर्योदय के बाद जल पीकर और फलाहार से व्रत तोड़ें।


🚫 व्रत के नियम और पालन

  • इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे कठिन व्रत माना गया है।

  • व्रतधारी को झूठ, क्रोध, विवाद से बचना चाहिए।

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और पूर्ण श्रद्धा से भगवान की आराधना करें।


🌼 निर्जला एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

  • यह व्रत सभी एकादशियों का समर्पित फल देता है।

  • भक्त को धन, समृद्धि, और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

  • मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति और वैकुंठ धाम की ओर मार्ग प्रशस्त होता है।


🩺 स्वास्थ्य लाभ (यदि विवेकपूर्ण रखा जाए)

  • शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है।

  • मानसिक एकाग्रता और आत्मसंयम को बढ़ाता है।

  • व्रत के साथ प्रार्थना और ध्यान मानसिक शांति देते हैं।
    नोट: बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह से ही व्रत रखें।


🤔 रोचक तथ्य

  • यह एकादशी गर्मी के मौसम में आती है, इसलिए इसका पालन संयमपूर्वक करना आवश्यक है।

  • इसे सभी एकादशियों का राजा भी कहा गया है।

  • भक्तों द्वारा इस दिन गौदान, अन्नदान, वस्त्रदान जैसे पुण्य कर्म किए जाते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: निर्जला एकादशी का व्रत कौन कर सकता है?
👉 कोई भी स्वस्थ व्यक्ति, स्त्री या पुरुष, श्रद्धा से यह व्रत रख सकता है।

Q2: निर्जला एकादशी में पानी पीना चाहिए या नहीं?
👉 पारंपरिक रूप से नहीं, लेकिन शारीरिक ज़रूरत के अनुसार पानी लिया जा सकता है।

Q3: क्या निर्जला एकादशी व्रत सिर्फ एक बार रखना पर्याप्त है?
👉 जी हां, मान्यता है कि इसका व्रत साल की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देता है।

Q4: क्या बच्चे निर्जला व्रत रख सकते हैं?
👉 छोटे बच्चों को व्रत के लिए बाध्य न करें; धार्मिक भावना के लिए हल्का उपवास करा सकते हैं।


🔚 निष्कर्ष

निर्जला एकादशी 2025 न केवल एक कठिन व्रत है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और ईश्वर भक्ति का एक महान अवसर है। यदि आप सभी एकादशियों का पालन नहीं कर सकते, तो सिर्फ इस एक व्रत से ही आप सम्पूर्ण पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

🙏 इस पवित्र दिन पर श्रद्धा से व्रत कर भगवान विष्णु की कृपा पाएं और जीवन को आध्यात्मिक ऊँचाइयों की ओर ले जाएं।


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