Urad Farming: किसान इस तरीके से करें उड़द की खेती, कम लागत में होगी ज्यादा कमाई!
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की किसानी मौसम और प्रकृति पर अत्यधिक निर्भर है। किसानों को अक्सर सिंचाई के पानी की कमी या अत्यधिक बारिश जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में उड़द (उर्द) जैसी फसलें कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हो सकती हैं। उड़द की खेती खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए आदर्श है जहाँ पानी की उपलब्धता सीमित है।
जांजगीर-चांपा के किसानों ने इस दिशा में सराहनीय कदम उठाया है, जहां अधिक लागत और जल की कमी के कारण धान की जगह उड़द की खेती को अपनाया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि उड़द की खेती कैसे करें जिससे कम लागत में ज्यादा कमाई की जा सके।
✅ उड़द की खेती क्यों करें? (Why Choose Urad Farming?)
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कम पानी की जरूरत: उड़द की फसल सूखा सहिष्णु होती है।
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कम लागत: बीज, खाद और सिंचाई की लागत बहुत कम है।
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छोटे और सीमांत किसानों के लिए उपयुक्त: कम जोत वाले किसानों के लिए बेहद लाभदायक।
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मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है: उड़द नाइट्रोजन फिक्स करती है, जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है।
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तेजी से तैयार होने वाली फसल: सिर्फ 70 से 90 दिन में तैयार हो जाती है।
🌱 उड़द की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी (Best Climate and Soil for Urad)
तत्व | जानकारी |
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जलवायु | गर्म और शुष्क, 25°C से 35°C |
मिट्टी | हल्की दोमट, बलुई या काली मिट्टी |
PH स्तर | 6.0 से 7.5 |
🌾 बीज का चयन और उपचार (Seed Selection and Treatment)
✔️ बीज चयन:
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प्रमुख किस्में:
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TAU-1
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Pant U-35
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IPU-2-43
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PU-31
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T-9 (लोकप्रिय किस्म)
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✔️ बीज उपचार:
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Fungicide से उपचार: 2.5 ग्राम थिरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज।
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Rhizobium कल्चर: 5 ग्राम प्रति किलो बीज, इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है।
🚜 खेत की तैयारी और बुवाई विधि (Land Preparation and Sowing)
✅ खेत की तैयारी:
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2–3 जुताई + 1 पाटा।
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खेत को समतल और भुरभुरा बनाएं।
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जलनिकासी की व्यवस्था जरूरी है।
✅ बुवाई का समय:
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खरीफ सीजन: जून से जुलाई
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रबी/जायद: मार्च से अप्रैल
✅ बुवाई विधि:
विधि | दूरी | बीज दर |
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कतार में | पंक्ति से पंक्ति - 30 सेमी पौधे से पौधे - 10 सेमी | 15–20 किग्रा/हेक्टेयर |
💧 सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation and Water Management)
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खरीफ मौसम: आमतौर पर बारिश पर्याप्त होती है।
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जरूरत हो तो सिंचाई करें: खासकर फूल और फल अवस्था पर।
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जलभराव से बचाव: खेत में नालियां बनाएं।
🌿 उर्वरक और जैविक खाद (Fertilizers and Organic Inputs)
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गोबर की खाद: 5 टन प्रति हेक्टेयर बुवाई से पहले।
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DAP या SSP: बुवाई के समय ही दें (DAP – 18:46:0)।
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सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्व: उर्वरक में शामिल करना चाहिए।
टिप: जैविक खेती के लिए वर्मी कम्पोस्ट और नीम की खली का प्रयोग करें।
🐛 कीट और रोग प्रबंधन (Pest and Disease Management)
प्रमुख कीट:
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पत्ती खाने वाले कीड़े
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पॉड बोरर
प्रमुख रोग:
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पत्तों में झुलसा (Leaf Blight)
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पीलिया रोग (Yellow Mosaic Virus)
समाधान:
कीट/रोग | उपचार |
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पत्ती खाने वाला कीड़ा | नीम का तेल 5 मि.ली./लीटर पानी में |
पीला मोजेक | रोगरोधी किस्में + सफेद मक्खी नियंत्रण |
झुलसा | कार्बेन्डाजिम का छिड़काव 2 ग्राम/लीटर |
💸 लागत और मुनाफा (Cost and Profit Analysis)
घटक | लागत (प्रति हेक्टेयर) |
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बीज | ₹2000 – ₹2500 |
खाद/उर्वरक | ₹3000 – ₹4000 |
श्रम | ₹2500 – ₹3000 |
सिंचाई व अन्य | ₹2000 |
कुल लागत | ₹10,000 – ₹11,500 |
उत्पादन (क्विंटल) | 10–12 क्विंटल |
बाजार मूल्य (प्रति क्विंटल) | ₹7000 – ₹9000 |
कुल आय | ₹70,000 – ₹1,08,000 |
लाभ | ₹60,000 – ₹96,000 |
🏪 मंडी में बिक्री और MSP की जानकारी (Market & MSP Info)
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सरकारी MSP (2024): ₹6,950 प्रति क्विंटल
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निजी मंडी मूल्य: ₹7,500 से ₹9,000 तक
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ई-नाम प्लेटफॉर्म: किसान घर बैठे फसल बेच सकते हैं।
🌿 इंटरक्रॉपिंग और फसल चक्र (Intercropping & Crop Rotation)
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उड़द के साथ मक्का, सोयाबीन या तिल की इंटरक्रॉपिंग करें।
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फसल चक्र में उड़द के बाद गेहूं या सरसों लगाना लाभदायक।
📈 उड़द की मांग और निर्यात (Market Demand and Export)
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भारत विश्व का सबसे बड़ा उड़द उत्पादक और उपभोक्ता है।
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उड़द दाल की घरेलू मांग हर साल बढ़ रही है।
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निर्यात देशों में: श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, यूएई आदि।
👨🌾 किसानों के अनुभव: जांजगीर-चांपा से सीखें
जांजगीर-चांपा के कई किसानों ने धान की जगह उड़द को प्राथमिकता दी है। उनका कहना है:
“धान की खेती में जहां 30-40 हजार खर्च होता है, वहीं उड़द में 10-12 हजार में काम हो जाता है और मुनाफा भी ज़्यादा है।”
यह उदाहरण इस बात का सबूत है कि समझदारी से चुनी गई फसल किसान की आय को कई गुना बढ़ा सकती है।
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
Urad Farming किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, खासकर ऐसे समय में जब सिंचाई की कमी और लागत का बोझ बढ़ रहा है। सही तकनीक, समय पर बुवाई और बाजार की जानकारी के साथ किसान उड़द से बहुत अच्छी कमाई कर सकते हैं। साथ ही, यह मिट्टी की सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. उड़द की खेती कब करें?
A. खरीफ में जून-जुलाई और रबी में मार्च-अप्रैल में करें।
Q2. उड़द की कौन-कौन सी किस्में बेहतर हैं?
A. TAU-1, PU-31, T-9 और IPU-2-43।
Q3. उड़द में कौन-कौन से रोग होते हैं?
A. पीलिया रोग, झुलसा, और पत्ती खाने वाले कीट आम हैं।
Q4. एक हेक्टेयर में कितना उत्पादन होता है?
A. औसतन 10 से 12 क्विंटल।
Q5. उड़द की MSP क्या है?
A. ₹6,950 प्रति क्विंटल (2024-25 के अनुसार)।
Q6. उड़द की खेती में कितना मुनाफा होता है?
A. लगभग ₹60,000 – ₹90,000 प्रति हेक्टेयर।
Q7. क्या उड़द की खेती में सिंचाई जरूरी है?
A. जरूरत के समय सिंचाई करनी चाहिए, खासकर फूल और फल अवस्था में।
Q8. उड़द की खेती जैविक तरीके से कैसे करें?
A. वर्मी कम्पोस्ट, नीम तेल, ट्राइकोडर्मा और राइजोबियम का प्रयोग करें।
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